*यदि हमारी शाखाएं हमारी जड़ों से बड़ी हैं तो हम तूफान के दौरान गिर जाएंगे।*
उन दो आदमियों का दृष्टान्त याद है जो घर बना रहे थे? एक ने रेत पर अपना घर बनाया। देखीये,उसने कुछ गलत नहीं किया; और इसलीये,उसे पापी या दुष्ट नहीं कहा गया, बल्कि उसे मूर्ख कहा गया।
एक अन्य व्यक्ति ने चट्टान पर अपना घर बनाया। उसकी नींव, जो लोगो के लिए अदृश्य थी, पर गहरी और मजबूत थी। वास्तव में, पूरा घर ऊस पर टिका हुआ था। जब तूफान आया, तो गहरी नींव होने के कारण घर स्थिर रहा।
यदि आप पाप से अपने निजी जीवन को साफ रखते हैं, पर यदी इसे स्वार्थ की रेत से भर दें, इसके बावजुद आप अभी भी एक बडा घर बना सकते हैं, लेकिन यदि तूफान आता है, तो यह नष्ट हो जाएगा। अगर शैतान आपको निजी तौर पर पाप को छिपाने के लिए राजी नहीं कर पाया, तो वह "प्लान बी" की कोशिश करेगा, जो की आपका गुप्त जीवन है, जहाँ आपने पत्थर के बजाय रेत भरा है। यदि आप अब पाप को नहीं छिपाते हैं, लेकिन पवित्र आत्मा की अगुवाई नहीं लेते हैं, तो आप अभी भी व्यस्त जीवन, इस जीवन की चिंता और धन का लोभ, और संसार पर ध्यान केंद्रित करने के द्वारा दुश्मन के जाल के लिए अतिसंवेदनशील हैं। रेत पर निर्माण का परिणाम पाप छुपाने जितना बुरा नहीं लगता, लेकिन इसका परिणाम हमारे लिए परमेश्वर की परिपूर्ण इच्छा नहीं है।
जहां मैं रहता हूं, वहां हमें ट्राई-सिटीज में तेज हवा का सामना करना पडता हैं। एक बार, एक तेज हवा के दौरान, ट्रेलर पार्क के बगल में एक पेड़ है,जहां हमारा चर्च स्थित है। वह पेड पेन्सिल के नोक पर स्थित होने के कारण नीचे गिर गया। जड़ें पूरी तरह से उपर निकल गई थीं और हालांकि वे बहुत मोटी थीं, पर वे बहुत उथले मे थी। पेड़ और जडे दोनो बडी थी, लेकिन जड़ें गहरी न होने के कारण, वह पेड को संभाल नही पाई। बिल्कुल ऐसा हीं हमारे साथ होता है जब हम पाप छुपाना बंद तो कर देते हैं, लेकिन हम अभी भी उथला निजी जीवन जीते हैं, वचन के अनुसार जिने, या पवित्र आत्मा के साथ समय बिताने से शून्य।
अपनी शाखाओं में बढ़ने की तुलना में अपनी जड़ों में बढ़ने पर अधिक ध्यान दें।
जमीन में जडे जितनी नीचे जाती है, पेड उतनी ही मजबुती से खडा रह सकता हैं। यही हमारे लिये भी है, जब हमारी जडे नम्रता मे जितनी अंदर तक जायेगी, उतनी ही मजबुती से हम प्रभू मे खडे रह पाऐंगे और पवित्र आत्मा में गहराई से विकसित होंगे।
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